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500 कहानियाँ

"जोरु का जोकर"

ताश के पत्तों में कई तरह के पत्ते होते हैं, जिनमें सब का बाप ईक्का फिर बादशाह बेगम और गुलाम होते हैं पर मैं ना तो ईक्का हूं, ना बादशाह हूं और ना ही गुलाम!

मैं ताश का वह पत्ता हूं, जिसका उपयोग ताश के खेल में किया ही नहीं जाता है, मुझे ताश के पत्तों में जगह तो मिली, पर इज्जत कभी नहीं मिली, अगर आपको उस पत्ते के बारे में नहीं पता है तो मैं बता दूं, मैं जोकर की बात कर रहा हूं!

जिसे ताश के पत्तों में रखा तो जाता है पर कभी उसका उपयोग नहीं किया जाता इसी तरहा मैं अपनी बीवी का एक ऐसा जोकर हूं, जो उसका सारा काम करता है, उसकी हर इच्छा पूरी करता है फिर भी उसे कभी इज्जत नहीं मिलती है!

"नमस्कार दोस्तों मेरा नाम जोकर, मेरा मतलब धर्मेंद्र शर्मा है, मैं एक व्यापारी हूं, मेरी रेडीमेड कपड़ों की शॉप है, जिसे मैं, अपने मुंह बोले साले के साथ चलाता हूं, उसका नाम कर्मवीर है, वह कर्म तो बहुत कम करता है पर कर्म की चोरी बहुत करता है, उससे परिचय तो मैं आपका बाद में कराउंगा, पहले मैं आपको अपनी वाइफ शांति से मिलाता हूं, जिसका शांति जैसी चीज से दूर-दूर तक कोई कनेक्शन नहीं है"!"देखिए"!

"अरे सुनते हो, कहां मर गए"? शांति ने जोर से चिल्ला कर कहा

"वह बुला रही है, चलिए, आप भी मिल लीजिए"! धर्मेंद्र दरवाजा खोल कर भीतर जाता है और कहता है -अरे"थोड़ा धीरे बोला करो, मोहल्ले के लोग सुनेंगे तो क्या सोचेंगे"?

"तुम्हारे बारे में, सोचने के लिए किसी के पास फालतू समय नहीं है, कब से चिल्ला रही हूं, सुनाई नहीं देता"! शांति ने बिस्तर पर लेटे हुए कहा

"पहले कब बोला, अभी तो बोली और मैं आ गया, सपने में बोला होगा"! धर्मेंद्र ने बताया

"हां तो, में सपने में भी बोलूं तो सुन लिया करो"! शांति ने कहा

"सपने में, तुम्हारी आवाज सुनाई नहीं देती है, थोड़ा जोर से बोला करो"! धर्मेंद्र ने कहा

"सुबह-सुबह, भगवान का नाम लिया करो, फोकट, बहस मत किया करो, जाओ और मेरे लिए चाय बना कर लाओ"! शांति ने कहा

कुछ देर बाद धर्मेंद्र शांति को बिस्तर में चाय ला कर देता है

"अरे, यह चाय कितनी मीठी है, तुम तो चाहते हो, मुझे शुगर हो जाए और मैं मर जाऊं, ताकि तुम सामने वाली चमेली के साथ नैन मटक्का कर सको"! शांति ने चाय पीते हुए कहा

"अरे, कौन सी चमेली, मैंने तो कभी उसे देखा भी नहीं है"! धर्मेंद्र ने बताया

"नहीं देखा तो उसके घर में घुसकर देख आओ, तुम तो मौके की तलाश में हो"! शांति ने कहा

शांति की बात सुनकर धर्मेंद्र बिना कहे, दरवाजे की ओर जाने लगता है!

तब शांति पूछती है -"कहां जा रहे हो"?

"बाहर टहलने जा रहा हूं"! धर्मेंद्र ने पलटकर कहा

"मुझसे नहीं कह सकते टहलने के लिए"! शांति ने पूछा

"चलो"! धर्मेंद्र ने कहा

"मतलब,तुम, मुझे, अपने इशारों पर नचाना चाहते हो"! शांति ने निर्दोष भाव से कहा

"ठीक है मत चलो"! धर्मेंद्र ने कहा

"हां, तुम तो यही चाहते हो, मैं मोटी हो, जाऊं ताकि तुम्हें, मुझे तलाक देने का मौका मिल जाए"! शांति ने कहा

"तुम्हें, चलना है या नहीं"! धर्मेंद्र ने पूछा

"तुम कहो तो मैं चलूं ,तुम कहो तो नहीं चलूं, तुम, मुझे, अपने इशारों की कठपुतली बनाना चाहते हो"! शांति ने कहा

फिर धर्मेंद्र अपना सर पड़कर वहीं बैठ जाता है!

"अब यहां क्यों बैठ गए हो"?"जाओ"! शांति ने कहा

"अब नहीं जाऊंगा, जाने की एनर्जी खत्म हो गई है"! धर्मेंद्र ने कहा

"तुम्हें, जाना ही नहीं था, फोकट में मुझे बदनाम कर रहे हो, आलसी कहीं के"! शांति ने कहा

फिर धर्मेंद्र अपना सिर पकड़ कर बैठा हुआ है तभी उसका फोन बजता है और उसे इस बात की जैसे कोई खबर ही नहीं है!

"अरे, फोन तो उठा लो"! शांति ने चिल्लाकर कहा

"धर्मेंद्र जेब से बजता हुआ फोन निकालता है

"किसका है"? शांति ने पूछा

"तुम्हारे बाप का"! धर्मेंद्र ने बताया

"क्या"! शांति ने आंखे दिखाते हुए पूछा

"मेरा मतलब, ससुर जी का"! धर्मेंद्र ने हिचकीचाते हुए कहा

"पापा, नहीं कह सकते, फोन दो, मुझसे बात करने के लिए ही लगाया होगा"! शांति ने कहा

"शांति अपने पापा से फोन पर बात करने लगती है व धर्मेंद्र नहाकर, हाथों में टिफिन लेकर, दुकान जाने के लिए तैयार होकर, शांति के सामने आता है तो देखता है, शांति अभी भी अपने पिता से बात कर रही है पर धर्मेंद्र को अब यह जरा भी अजीब नहीं लगा क्योंकि उसे रोज की आदत हो गई है!

"मेरा फोन, दे दो, मुझे देर हो रही है"! धर्मेंद्र ने धीरे से कहा

पर शांति ने उसकी बात को सुना, अनसुना कर दिया!

"ठीक है, "पापा"! "मैं, उनसे इस बारे में अभी बात करती हूं, जय श्री राधे कृष्णा"! शांति ने फोन रख कर धर्मेंद्र से कहा

 "दो मिनट, चेन से बात भी नहीं करने देते"!

"2 मिनट नहीं 2 घंटे हो गए"! धर्मेंद्र ने धीरे से कहा

"हां तो, कौन सा तूफान आ गया, मुझे, तुमसे एक बहुत जरूरी बात करना है, तुम कब तक मेरे सीधे साधे, भोले भाले, मुंह बोले भाई का शोषण करते रहोगे, भले वह मेरा सगा भाई नहीं है पर भाई तो है ना, पापा पूछ रहे थे, तुम कब उसकी तनख्वाह बढ़ाओगे"? शांति ने पूछा

" में उस मनहूस की तनख्वाह घटाने की सोच रहा हूं, दिन भर कामचोरी करता है और लेडीस कस्टमर को परेशान करता है, तुम्हारे, पापा के कहने पर रख रखा है, नहीं तो उल्टे पांव की लात मार कर भगाता उसे"! धर्मेंद्र ने बताया

"मुझे, मेरे भाई ने सब बता दिया है, अरे उसका तो नाम ही कर्मवीर है, वह अपने कर्म की पूजा करता है, कामचोरी तो तुम करते हो, उसी की सच्ची मेहनत और लगन के कारण तुम्हारी दुकान चल रही है, इसलिए तुम जल्द से जल्द उसकी तनख्वाह बढ़ा दो"!

"मैं नहीं बड़ाउंगा"! धर्मेंद्र ने स्पष्ट कहा

"ठीक है, मत बढ़ाओ, मैं अपना खर्चा बढ़ा देती हूं, अब तुम्हें, मुझे हर महीने 4 नहीं 8 साड़ियां दिलानी पड़ेगी"! शांति ने धमकी देते हुए कहा

फिर धर्मेंद्र गुस्से से दरवाजा खोलकर घर के बाहर आता है और अपने स्कूटर पर बैठकर, अपनी दुकान पर आता है तो देखता है, आज दुकान खुल गई है "आज कामचोर ने जल्दी दुकान खोल दी"!

धर्मेंद्र दुकान के अंदर आ कर देखता है तो चारों और कचरा बिखरा पड़ा है और कर्मवीर दिखाई नहीं दे रहा, तभी धर्मेंद्र को काउंटर की आड़ में कर्मवीर के पेर दिखाई देते हैं तो धर्मेंद्र उसके नजदीक जाकर देखता है, कर्मवीर गहरी नींद में सोया है, धर्मेंद्र उसके पेर पर लात मारता है और कहता है

"यह तेरे, बाप की धर्मशाला नहीं है, मेरी शॉप है, तेरी इन मनहूस हरकतों के कारण ही, मेरा धंधा पानी चौपट हो रहा है, फटाफट उठ और सफाई कर, पूरी दुकान की"!

"ओ बाप रे, मर गया, मेरा सिर फूट गया"! कर्मवीर ने कहा

"झूठ मत बोल, तुझे मारा तो पैर में है, तेरा सर कैसे फूट गया"! धर्मेंद्र ने पूछा

"तुम्हें नहीं पता, औरतों की अक्ल, उनके घुटनों में होती है, मेरी अक्ल मेरे पैरों में है"! कर्मवीर ने कहा

"अबे झूठे, तुझ, में अपनी जैसी चीज है ही नहीं, चल फटाफट खड़ा हो जा और दुकान की सफाई कर, तेरे लिए गरमा गरम, खीर पूरी, गाजर का हलवा लाया हूं"! धर्मेंद्र ने कहा

"लाए नहीं हो, मेरी दीदी ने भेजा है, पहले खा लेता हूं, उसके बाद काम करूंगा"! कर्मवीर ने कहा

"तेरे बाप का माल है, जब तक पूरी दुकान की सफाई नहीं करेगा, तब तक टिफिन को हाथ भी नहीं लगाने दूंगा"! धर्मेंद्र ने स्पष्ट कहा

फिर कर्मवीर झाड़ू उठाता है और झाड़ू मारते हूए पूछता है "क्यों, कंजूस जीजाजी, तुम्हारे खडूस ससुर का फोन आया था"? "तुम्हारे पास"!

"हां, आया था"! धर्मेंद्र ने बताया

"क्या कहा उन्होंने"?

"उन्होंने कहा, कर्मवीर की तनखा कम कर दो क्योंकि जैसे कुत्ते को घी हजम नहीं होता, उसी प्रकार कर्मवीर को ₹15000 की नौकरी हजम नहीं हो रही है"! धर्मेंद्र ने बताया

"चिड़िया का भी पेट नहीं भरता 15000 में, कंजूस जीजा जी फिर मैं तो इंसान हूं, आप इसी महीने से मेरी तनख्वाह ₹30000 कर दो, नहीं तो मैं कल से काम पर नहीं आऊंगा"! कर्मवीर ने धमकी देते हुए कहा

"मेरे मुन्ना, कल किसने देखा है, तू अभी इसी वक्त, यह नौकरी छोड़ कर चला जा, तेरा बड़ा एहसान होगा, मुझ पर"! धर्मेंद्र ने कहा

"खडूस"! "जीजा जी, मैं सच में चला जाऊंगा, पूरे इंदौर में मुझसे ईमानदार, वफादार, काम करने वाला मेहनती, लोडां नहीं मिलेगा"! कर्मवीर ने अपनी तारीफ करते हुए कहा

"इमानदारी, वफादारी जैसे शब्दों से तेरा ओर तेरे पूरा खानदान को कोई कनेक्शन नहीं है और तुझे तेरे, आधे मरे हुए बाप की कसम, तू अभी चला जा"! धर्मेंद्र ने कहा

"ठीक है, कंजूस जीजा जी, मेरे इतने सालों की वफादारी का यह सिला दे रहे हो, भगवान सब देख रहा है, ऊपर नर्क में यम का भैंसा उठा उठा कर मारेगा तुम्हें, याद रखना, जा रहा हूं, अब तुम ही संभालो, यह तुम्हारी सड़ीखाद नौकरी"! कर्मवीर यह कह कर चला जाता है

फिर धर्मेंद्र अपने काउंटर पर बैठकर अपनी दुकान का हिसाब करने लगता है, तभी उसके सामने एक व्यक्ति आकर खड़ा हो जाता है!

धर्मेंद्र अपनी गर्दन उठा कर देखता है और कहता है -"तु फिर आ गया मनहूस"!

"तुम्हें निपटाए बिना नहीं जाऊंगा, कंजूस जीजाजी, बाहर की सफाई कर दी है और कोई काम हो तो बता दो"! कर्मवीर ने कहा

"स्टोर रूम में, नई डिजाइन के कपड़े रखे हुए हैं, उन्हें लाकर यहां पर जमा दे, दिखेगा तो बिकेगा"! धर्मेंद्र ने कहा

"इतने में एक कस्टमर आकर पूछता है -"भाई साहब, बच्चों के कपड़े मिल जाएंगे"!

"यहां से दो दुकान छोड़कर, तिसरी दुकान अग्रवाल जी की है, वहां पर मिल जाएंगे"! कर्मवीर ने कहा

"मक्कार, नालायक, मेरे बिस्कुट खाता है और मुझी पर भोंकता है"! "अरे भाई साहब, इसकी तो मजाक करने की आदत है, अपनी दुकान पर सभी तरह के कपड़े मिलते हैं, अंदर आइए, आपको लेटेस्ट डिजाइन के कपड़े दिखाता हूं"! धर्मेंद्र ने कहा

फिर धर्मेंद्र उसे कई प्रकार के कपड़े दिखाता है!

"भैया यह कपड़े दे दीजिए, कितने के हैं"? उसे व्यक्ति ने पूछा

"फ्री में ले जाओ"! कर्मवीर ने कहा

"तेरे बाप का माल है, जो फ्री में ले जाओ, भाग यहां से, भाई साहब यह कपड़े तो ₹1200 के हैं पर अपनी दुकान पर 25% का डिस्काउंट चल रहा है तो आप मात्र ₹800 दे दीजिए"!

फिर वह व्यक्ति धर्मेंद्र को पैसे देकर चला जाता है!

"ग्राहक भगवान का रूप होता है और तू& मेरे भगवान को मेरे और मेरी दुकान के खिलाफ भड़काता है, "नालायक"! "मुझे बर्बाद करना चाहता है"! धर्मेंद्र ने कर्मवीर को तमाचा मारते हुए कहा

"बर्बाद नहीं, मैं तुम्हें भिखारी बनाना चाहता हूं, कंजूस जीजा जी, मेरी तनख्वाह बढ़ा दो नहीं तो तुम्हारी दुकान को फ्री में नीलाम कर दूंगा"! कर्मवीर ने कहा

"बेटा धर्मेंद्र, यह बहुत बड़े, डामीच खानदान का है, यह ऐसे नहीं मानने वाला, इसे लालच का लड्डू देना पड़ेगा, तभी यह ठीक से काम करेगा"!

धर्मेंद्र ने अपने मन मे यह विचार कर कर्मवीर से कहा -"ठीक है, इसी महीने से तेरी तनख्वाह बढ़ाई"!

"जीजा जी की जय हो, जीजा जी की जय हो, कितने बढ़ा रहे हो प्यारे जीजा जी, कर्मवीर ने प्यार से पूछा

"जितना अच्छा काम करेगा, उतनी तनख्वाह बड़ा कर दूंगा"! धर्मेंद्र ने कहा

"ठीक है, अब आप सेठ जैसे बैठकर केवल पैसे गिनो, मैं सभी ग्राहकों को मैं संभाल लूंगा"! कर्मवीर ने उत्साह से कहा

"ठीक है, निकाह कबूल है"! धर्मेंद्र ने व्यंग भाव से कहा

फिर कर्मवीर बहुत ही लगन से काम करने लगता है, वह बिना बताए ही बहुत अच्छे तरीके से काम करता है और किसी भी ग्राहक को खाली हाथ नहीं जाने देता है, इसी तरह रात हो जाती है!

धर्मेंद्र पैसे गिन रहा है, तब कर्मवीर धर्मेंद्र से कहता है -"आज बहुत खुश नजर आ रहे हो, "जीजा जी"! "क्या बात है"?

"आज धंधा चमक गया, नोटों की बरसात हुई है"! धर्मेंद्र ने कहा

तभी धर्मेंद्र का फोन बजता है और धर्मेंद्र फोन उठाता है!

"दुकान पहुंच गए"? शांति ने पूछा

"रात के 8:00 बज गए हैं, अब तो दुकान बंद करने का समय हो गया है"! धर्मेंद्र ने बताया

"तुमसे प्यार करती हूं इसलिए फ़िक्र करती हूं, प्यार में टाइम मायने नहीं रखता, फिक्र मायने रखती है, "समझे"! "मैं, अपने मायके जा रही हूं, गेंदा भुआ, की बहू की गोद भराई है, सुबह आऊंगी,"!शांति ने कहा

"हां, ठीक है, चली जाओ"! धर्मेंद्र ने कहा

"तुमसे पूछा नहीं है, तुम्हें बताया है"! शांति ने कहा

"हां, ठीक है, अब मुझे पता चल गगया, फोन रखता हूं, दुकान मंगल करना है"!

फिर धर्मेंद्र फोन काट कर, कुछ सोचता है और कर्मवीर से कहता है -"कर्मवीर तू, काउंटर संभाल, में स्टोर रूम में माल चेक करके आता हूं"! धर्मेंद्र ने पैसे अपने जेब में रखते हुए कहा

"पैसे तो सारे जेब में रख लिए, खाली गल्ले पर बिठा रहे हो, ठीक है, जाइए"! कर्मवीर ने कहा

धर्मेंद्र के जाने के बाद कर्मवीर सोचता है -"दीदी का फोन आने के बाद, जीजा जी का व्यवहार कुछ बदला बदला लगता है, दाल में जरूर काला, पीला, नीला, कंकर है"!

फिर कर्मवीर चुपके से स्टोर रूम के दरवाजे पर कान लगाकर सुनता है -"मेरी पत्नी मायके जा रही है, तुम, मेरे घर आ जाओ, मजे करेंगे, अरे यार, जिंदगी का असली मजा तुम्हारे ही साथ में आता है और सुनो, मेडिकल से वह भी ले आना, सपोर्ट के लिए, मैं, तुम्हारा इंतजार करूंगा"! धर्मेंद्र ने कहा

फिर कर्मवीर वापस भागकर काउंटर पर आकर बैठ जाता है धर्मेंद्र आकर उससे कहता है -"कर्मवीर अब दुकान मंगल कर देते हैं, मुझे कुछ जरूरी काम याद आ गया"!

"ऐसा क्या जरूरी काम याद आ गया"? "जो 2 घंटे पहले दुकान बंद कर रहे हो"? कर्मवीर ने पूछा

"एक सदियों पुराना, दोस्त याद आ गया"! धर्मेंद्र ने कहा

"दोस्त याद आया है या कोई और"? कर्मवीर ने पूछा

"चुप कर, नालायक; अब दुकान मंगल करते हैं"!

धर्मेंद्र अपने हाथों से दुकान पर ताला लगाता है और कर्मवीर से कहता है -"यह ले चाबी, दुकान सुबह 8:00 बजे खोल देना और सबसे पहले सफाई करना"!

"जी तो तुम्हारी धुलाई करने का कर रहा है, "आय्याश"! "जीजा जी पर मजबूर हूं"! कर्मवीर ने मन में कहा

फिर धर्मेंद्र के जाने के बाद कर्मवीर, शांति को फोन लगाता है और बताता है "दीदी, आप कहीं जा रही हो क्या"?

"हां, मायके जा रही हूं"!

"अय्याश"! "जीजा जी ने, आज तुम्हारे घर उनकी सेटिंग को बुलाया है, वह आज गुलछर्रे उड़ाएंगे, मैंने, अपने कानो से उन्हें उनकी सेटिंग से बात करते सुना है, वह बहुत गंदी गंदी बातें कर रहे थे और उन्होंने मेडिकल से वह भी मंगवाया है"!

"क्या"? अगर तेरी बात में रत्ती भर भी सच्चाई निकली तो तेरी तनख्वाह, मेरी तरफ से डबल, वापस घर जा रही हूं, उस हवस के पुजारी को रंगे हाथ पकड़ने, तू, मेरे लिए सफेद साड़ी लेकर आ जा"! शांति ने कहा

"क्यों"? कर्मवीर ने पूछा

"अरे पागल, मैं आज अपने हाथ से ही अपने सुहाग का गला दबाकर विधवा बनूंगी"!

"ठीक है, दीदी"!

"कुछ देर बाद"!

शांति और कर्मवीर एक साथ घर के बाहर पहुंचते हैं

"दीदी, यह रही आपकी सफेद साड़ी"!

"पहले उस अय्याश का गला घोट दूं, उसके बाद पहनूंगी, चल ऊपर चलते हैं"!

फिर कर्मवीर और शांति रूम के नजदीक जाते हैं और रुक कर सुनते हैं, घर के भीतर से एक रोमांटिक सॉन्ग चल रहा है

"भीगे होठ तेरे, प्यासा दिल मेरा

"लागे अब्र सा, मुझे तन तेरा

"छमके बरसा दे, मुझे पर घटाएं"

"तू ही मेरी प्यास, तू ही मेरा जाम"

"कभी मेरे साथ, कोई रात गुजार"

"तुझे सुबह तक मैं, करूं प्यार"

ओ,,ओ,,ओ,,

ओ,,ओ,,ओ,,

फिर शांति आग बबूला होकर, ज़ोर से दरवाजा खोलता है और देखकर कहती है -"छी"!


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5 Comments

✍️1200 की साड़ी, 25% डिस्काउंट तो साड़ी ₹900 की हुई ₹800 की नहीं.!!

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kashish

24-Sep-2023 12:07 PM

Amazing

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madhura

24-Sep-2023 08:58 AM

Nice

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